Monday, August 24, 2015

कविता - काश

काश खुदा की रहमत तेरे जैसी होती।
फिर ज़िन्दगी खूबसूरत तेरे जैसी होती।
गर 'उस' पर जो चंद बदनुमा दाग़ न होते
तो 'उस' चाँद की सूरत तेरे जैसी होती।
ये माहौल बदमजा इतना कतई न होता
जो महफ़िलो की किस्मत तेरे जैसे होती।
तेरे जैसा होता हर रंग फिज़ाओ का केसर
और खुशरंग हिना कुदरत तेरे जैसी होती

रचनाकार- सिद्धार्थ अरोरा 'सहर', दिल्ली. 

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