Friday, August 21, 2015

व्यंग- घर की मुर्गी, दाल बराबर

"दाल फ्राई, अनियन सलाद विथ बटर नान!"
एक शानदार स्टेटस सिंबल हो सकता है।
क्योंकि गरीब की रसोई में तो
"दाल-रोटी / प्याज-रोटी और नोन"
तो अब आने में भी रोती है!
दाल-रोटी चल रही है बस जी..
अब तो ये भी नहीं कह सकते!
उधर वो मुर्गी भी आत्महत्या पर उतारू है..
जो 'घर की मुर्गी, दाल बराबर' जुमले को
जैसे-तैसे हजम कर पायी थी! अब तो
दाल के बराबर भी न रही बेचारी..
दाल 150, प्याज 70रु/ किलो!
अच्छे दिन आ गए, जय बोलो!!

रचनाकार - कृष्णा मोहन दुबे. 

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