हमारा चमन
आज गुलज़ार है
आज गुलज़ार है
सुबह से रुत भी
खुशगवार है
खुशगवार है
शाम सुहानी भी
आज रतनार है
आज रतनार है
रात भी महकेगी
आज त्यौहार है
आज त्यौहार है
मुरलिया वाले का
बड़ा उपकार है
बड़ा उपकार है
अनूठी रचनाओं का
तू शाहकार है
तू शाहकार है
तेरी दयानत की
फेहरिश्त साकार है
फेहरिश्त साकार है
मशहूर हुआ जो वो
नाम भी शुमार है
नाम भी शुमार है
जिसके चाहने वाले
हम से बेशुमार है
हम से बेशुमार है
जन्मदिन मुबारक जिनका
वो साहब "गुलज़ार" हैं
वो साहब "गुलज़ार" हैं
रचनाकार- कृष्णा मोहन दुबे.
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