Friday, August 21, 2015

कविता- गुलज़ार साहब विशेष

हमारा चमन
आज गुलज़ार है
सुबह से रुत भी
खुशगवार है
शाम सुहानी भी
आज रतनार है
रात भी महकेगी
आज त्यौहार है
मुरलिया वाले का
बड़ा उपकार है
अनूठी रचनाओं का
तू शाहकार है
तेरी दयानत की
फेहरिश्त साकार है
मशहूर हुआ जो वो
नाम भी शुमार है
जिसके चाहने वाले
हम से बेशुमार है
जन्मदिन मुबारक जिनका
वो साहब "गुलज़ार" हैं
रचनाकार- कृष्णा मोहन दुबे. 

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